*नवरात्रि को सही रूप में कैसे मनाएं?*
*What to do during Navratri*
नवरात्रि का अर्थ है ‘नौ रातें’| रात्रि विश्राम का समय होता है| यह मन और शरीर में पुनः ऊर्जा भरने का समय होता है|
*#1 अपने मन और शरीर को विश्राम दें*
नवरात्रि आपकी आत्मा के विश्राम का समय है| यह वह समय है जिसमें आप खुद को सभी क्रियाओं से अलग कर लेते हैं (जैसे खाना, बोलना, देखना, छूना, सुनना और सूंघना) और खुद में ही विश्राम करते हैं| जब आप इन्द्रियों की इन सभी क्रियाओं से अलग हो जाते हैं तब आप अंतर्मुखी होते हैं और यही वास्तविक रूप में आनंद, सुख और उत्साह का स्त्रोत है|
हममें से बहुत से लोग इसका अनुभव नहीं कर पाते क्योंकि हम निरंतर किसी न किसी काम में उलझे रहते हैं| हमारा मन हर समय व्यस्त रहता है| नवरात्रि वह समय है, जब हम खुद को अपने मन से अलग कर लेते हैं और अपनी आत्मा में विश्राम करते हैं| यही वह समय है जब हम अपनी आत्मा को महसूस कर सकते हैं|
*#2 याद करिए कि आपका मूल क्या है*
नवरात्रि वह मौका है जब आप इस स्थूल भौतिक संसार से सूक्ष्म आध्यात्मिक संसार की यात्रा कर सकते हैं| सरल शब्दों में – अपने रोज़ाना के कार्यों में से थोड़ा समय निकालिए और अपने ऊपर ध्यान ले जाईये| अपने मूल के बारे में सोचिये, आप कौन हैं और कहाँ से आये हैं| अपने भीतर जाईये और ईश्वर के प्रेम को याद करके विश्राम करिए|
*#3 श्रद्धा रखिये*
हम इस ब्रह्माण्ड से जुड़े हुए हैं, उस परम शक्ति से जुड़े हुए हैं जो इस पूरी सृष्टि को चला रही है| यह शक्ति प्रेम से परिपूर्ण है| यह पूरी सृष्टि प्रेम से परिपूर्ण है| नवरात्रि वह समय है, जिसमें आप याद करते हैं कि उस परम शक्ति को आप बहुत प्रिय हैं! प्रेम की इस भावना में विश्राम करिए| ऐसा करने पर आप पहले से अधिक तरोताज़ा, मज़बूत, ज्ञानी और उत्साहित महसूस करते हैं|
यदि आप आध्यात्मिक संसार की यात्रा करना चाहते हैं तो उसका मार्ग है – मौन, उपवास, जाप और ध्यान|
*श्री श्री रविशंकर*
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