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🍂 हरि ॐ 🍂
🕉 गुरु महिमा 🕉
🙏🍀✍मैने एक आदमी से पुछा गुरू कौन है ,वो सेब खा रहा था,उसने एक सेब मेरे हाथ मैं देकर मुझसे पूछा इसमें कितने बीज हें बता सकते हो ?
सेब काटकर मैंने गिनकर कहा तीन बीज हैं,
उसने एक बीज अपने हाथ में लिया और फिर पूछा
इस बीज में कितने सेब हैं यह भी सोचकर बताओ ?
मैं सोचने लगा एक बीज से एक पेड़ , एक पेड़ से अनेक सेव अनेक सेबो में फिर तीन तीन बीज हर बीज से फिर एक एक पेड़ और यह अनवरत क्रम!
उसने मुस्कुराते हुए बोले : बस इसी तरह परमात्मा की कृपा हमें प्राप्त होती रहती है , बस उसकी भक्ति का एक बीज अपने मन में लगा लेने की ज़रूरत है।
✍🔹गुरू एक तेज हे जिनके आते ही सारे सन्शय के अंधकार खतम हो जाते हे।
✍🔹गुरू वो मृदंग है जिसके बजते ही अनाहद नाद सुनने शुरू हो जाते है ।
✍🔹गुरू वो ज्ञान हे जिसकेमिलते ही पांचो शरीर एक हो जातेहे।
✍🔹गुरू वो दीक्षा हे जो सही मायने मेमिलती है तो भवसागर पार हो जाते है।
✍🔹गुरू वो नदी हे जो निरंतर हमारे प्राण से बहती हे।
✍🔹गुरू वो सत चित आनंद हे जो हमे हमारी पहचान देता है।
✍🔹गुरू वो बासुरी हे जिसके बजते ही अंग अंग थीरकने लगता है।
✍🔹गुरू वो अमृत हे जिसे पीके कोई कभी प्यासा नही।
✍🔹गुरू वो मृदन्ग हे जिसे बजाते हीे सोहम नाद की झलक मिलती है।
✍🔹गुरू वो कृपा ही है जो सिर्फ कुछ सद शिष्यो को विशेष रूप मे
मिलती हे और कुछ पाकर भी समझ नही पाते।
✍🔹गुरू वो खजाना हे जो अनमोल हे।
✍🔹गुरू वो समाधि हे जो चिरकाल तक रहती हे।
✍🔹गुरू वो प्रसाद हे जिसके भाग्य मे हो उसे कभी कुछ मांगने की
ज़रूरत नही पड़ती
🍃🙏 गुरु प्रसाद 🙏🍃
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