दुनिया में दुख है नही, आपने बनाया है | दुख के सिर्फ़ और सिर्फ़ एक मात्रा कारण है- अपने खुद के शरीर, मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार के प्रति आज्ञानता या ग़ैरज़िम्मेदारी |
शिकायत वही करता है जो ग़ैरज़िम्मेदार है |
आपने किसिको प्रेम का कारण बनाया इस ही लिए आपके जीवन में द्वेष आता है | आपने जिसको प्रेम का कारण बनाया वोही आपके जीवन में भय और नफ़रत का कारण बनेगा |
आपने बाहर की वस्तु को तृप्ति का कारण बनाया इस ही लिए आपके जीवन में ईर्ष्या ओर लोभ आता है |
आपने जिस वस्तु को आनंद का कारण बनाया वोही आपके जीवन में क्रोध और पश्चाताप का कारण बनने वाला है |
और जिस को आपने शांति का कारण बनाया है वोही आपके जीवन में अशांति का कारण बनने वाला है |
आप मुक्त नही हो | और जब तक यह कारण बनाते रहोगे तब तक मुक्त नही होने वाले हो |
- Rishi Vidhyadhar
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