आप बंधन में पड़ते हो अपने शब्दो के कारण| आपकी तारीफ इस प्रकार की है के "इस वस्तु से सुख मिला, इस व्यक्ति से सुख मिला, इस परिस्थिति से सुख मिला या इस जगह से सुख मिला |" यह बंधन आपके शब्दो से आया है |
इस ही लिए अगर गुरुजी की, 'God Loves Fun', किताब पढ़ोगे तो पाओगे के उसमे गुरुजी ने साफ-साफ लिखा है के, "95% of the problems in the world are because of words" |
एक इंसान अपने consious, subounsious , unconsious mind को निरंतर program करे ही जा रहा है |
जैसे अगर आपने बोला, "आज लोचा खा कर मज़ा आ गया" | तो कल अगर कोई भी व्यक्ति आपको बोलेगा के , "आज कुछ मज़ा नही आ रहा ", तो आप तुरंत बोलॉगे, "चलो लोचा खा कर आते है " |
यह data कहा से आता है | आपकी बोली से ही आया है |
कितने लोग मानते है के जब भी आपका mood खराब होता है तो उसको अच्छा करने का तरीका साधना नही आएगा | आपने जिन जिन व्यक्ति, वास्तु, जगह को अपने सुख का कारण बोला है, उस ही का विचार आता है |
आपने साधना को सुख का कारण नही बताया नही तो मन बोलता , "चल थोड़ा प्राणायाम कर ले" |
- Rishi Vidhyadharji
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